राजनीती क्या है और इसे कैसे समझे. इस व्यवस्था का महत्त्व और विकल्प क्या है ?


ऐसे तो संविधान के अनुसार, भारत एक कृषि प्रधान, समाजवादी, धर्म-निरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र है, ऐसा बताया जाता है कि यहाँ पर विधायिका जनता के द्वारा चुनी जाती है. जबकि यह गलत बताया जाता है क्योकि यहाँ विधायक का निर्माण राजनैतिक पार्टी के द्वारा जनता पर थोपे गए उमीदवारो के द्वारा होता है . यह पूर्ण लोकतंत्र नहीं. कहने को तो अमेरिका की तरह, भारत में भी संयुक्त सरकार होती है, लेकिन भारत में केन्द्र सरकार राज्य सरकारों की तुलना में अधिक शक्तिशाली है और राज्यों के साथ राजनैतिक खेल खेले जाते है. वैसे यह ब्रिटेन की संसदीय प्रणाली पर भी आधारित है.



राजनीती के चार आधार स्तम्भ होते है 

1- विचारधारा (Ideology )

2- अवधारणा (perception)

3- योजना एवं प्रचार (Planning) 

4- अर्थ (Economy )


राजनैतिक विचारधारा ( Political  Ideology )

विचार अधिकांश सबके अच्छे होते है लेकिन विचारधारा का निर्माण समय और विवेक के अनुसार हो सकता है. आज अनेको विचारधारा लेकर लोग मैदान मे है. लेकिन सामाजिक नेतृत्व कि बिलकुल नहीं है, अधिकतर लोग राजनीती मे घूसने के लिए अनेको माध्यमो का प्रयोग करते है. भारत मे सबसे ज्यादा राजनीती संप्रदायिकता और किसान के नाम पर हुई है. इसलिए वर्तमान राजनीती चकाचोंध होते हुए भी केवल स्वार्थ सिद्ध करने के लिए होती है. सामाजिक आधार पर राजनीती का ना कोई विचार होता है और ना विचारधारा . इसलिय आज देश और समाज को केवल समाज आधारित राजनीतिक विचारधारा ही नही बल्की लोकनैतिक व्यवस्था की आवशक्ता है. राजनीती जिसके अधिन हो और समाज ताकत्वर तो. 


राजनैतिक अवधारणा (Political Perception)


धारणा तो बना ही लेते है लोग फिर वो भले हो य़ा बुरे हो. लेकिन सामाजिक आधार पर खडी व्यवस्था के अधिन लोकनिती हो उसमे धारणा एक धोखा नही बल्की सामुहिक जागरुक्ता बन सकती है. वर्तमान राजनीती मे  विपक्ष की बडी भुमिका है. राजनीती में विपक्ष का बहुत महत्त्व है. विपक्ष समाज के लिए एक छलावा होता है क्योकि विपक्ष में होते हुए राजनैतिक दल ऐसे परतीत होते है जैसे इनके पास दिव्य दृष्टि हो, ये प्रत्येक पहलु पर अपना स्पष्टीकरण देते है. लेकिन असल मे यह सत्ता से समाज को दुर रखने की अचुक प्रणाली हैं. ये दोनो चोर पाला बदलकर खेलते है और समाज को केवल दर्षक बना कर रखते है .


राजनैतिक योजना एवं प्रचार (Political planning and Marketing.) 


योजना कि महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है, अच्छी योजना एक सफल प्रयास के मार्ग पर ले जाती है. लेकिन विपक्ष के लिए योजना अधिक लाभकारी सिद्ध होती है. इसका कारण है कि सत्ताधारी पार्टी कि धारणा एक या दो योजना में धूमिल हो जाती है. जिसका लाभ विपक्ष उठाता है. बेहतर योजना जनता के मुँह पर एक जोर का तमाचा होता है जो उसे बहुत बाद में पता चलता है. इसलिए राजनीती कि भाषा में जनता को "थाली का बैंगन" कहा जाता है. यह अवधारणा किसी व्यक्ति विशेष के लिए नहीं अपितु केवल ओर केवल जनता के लिए प्रयुक्त है. थाली के बैंगन से अभिप्राय है. राजनैतिक दल जिस ओर चाहता है जनता बैंगन कि तरह उधर ही लुढ़कती है. खैर यह एक राजनैतिक वास्तविकता है. इसलिए हमे समझना चाहिए कि हम सभी नागरिक राजनैतिक योजना अनुसार मात्र बैंगन है. प्रत्येक पांच वर्ष में हमे थाली में डालकर घुमा दिया जाता है.


इसलिय जागरुक समाज को चाहिए की वो सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करें जो संविधान ने उनको अधिकार दिया है. यह पक्ष और विपक्ष के नाग उसपर कुंडली मारकर बैठे है .


अर्थ (Economy )

चौथा स्तम्भ है अर्थ - इसके आभाव में राजनीती एक लाश है इसलिए अर्थ को राजनीती कि आत्मा कहा जाता है. लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पूंजी गैर सामाजिक होती है जिसे कालाधन कहा जाता है. पूंजीवाद के अनुसार यह शुद्ध सौदा होता है. इसलिए सम्पूर्ण विश्व कि राजनीती पर आज पूंजीवाद का कब्ज़ा है. आप शायद अब समझेंगे कि क्यों सभी सरकारे समाज को अनदेखा करती है. 

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खासकर ग्रामीण समाज को तो पूर्ण रूप से अनदेखा किया जाता है. राजनीती शिकारी है और  ग्रामीण समाज इसका शिकार है. यह ग्रामीण समाज को समझ लेना चाहिए. जबतक पुंजीवाद का अर्थ राजनीती को समर्थन देगा तबतक समाज के पक्ष मे कुछ नही हो सकता . इसलिय आज के समाज को स्वयं पोषित व्यवस्था का निर्माण कर उसे योजनाबद्ध तरिको से मजबुत कर खडा करना होगा . आपको वर्तमान राजनीती के विरुद्ध एक सामाजिक व्यवस्था और लोकनैतिक विकल्प को तैयार करना चाहिए. 


🔥🔥🔥अगर ऐसा नही कर सकते तो वर्तमान राजनीती को  एक मनोरंजन की भांति ले , कोई राजनीतिक म्हत्वकांशा है तो किसी दल य़ा पार्टी से जुडे थोड़ा नाटक करे ,जनता य़ा किसान को  गुमराह कर अपने स्वार्थ सिद्ध करे . यह बडा आसान है इसलिय ज्यतातर लोग यही करते है और राजनीती मे स्थापित होते है .


"राजनीती को समझे, समझाऐ , जागरूक बने और समाजिक राजनैतिक व्यवस्था कि स्थापना करे"


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