Twin Towers Breakdown : Twin Towers में घर खरीदने वालों की जीत बिल्डरों और अधिकारियों की हार का इतिहास बन गया
पीड़ित खरीदारों ने कहा है कि ट्विन टावर्स के विध्वंस ने उन बिल्डरों और अधिकारियों को एक कड़ा संदेश दिया है जो घर खरीदारों के साथ छल करते है
नोएडा, रविवार, 28 अगस्त, 2022 आज के दिन सुपरटेक ट्विन टावरों के विध्वंस के लिए लगभग 100 मीटर ऊंची 2 इमारतों को गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का उपयोग किया गया.
Published by Socialfront I Twin Towers Analysis Report Newsfront
Noida I August 28, 2022 Cityfront Statefront Newsfront Nationfront
HIGHLIGHTS
- नोएडा Twin Towers आज दोपहर 2:30 बजे होना तय है 2004 में सुपरटेक लिमिटेड को एक प्लॉट आवंटित होने के बाद कहानी शुरू हुई 2011 में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की.
- 2011 में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी.
- मकान मालिकों ने दावा किया कि दोनों टावरों के बीच 16 मीटर से कम की दूरी थी जो कानून का उल्लंघन था.
- 2012 में मूल योजना में बगीचे के लिए निर्धारित मूल स्थान का कथित तौर पर जुड़वां टावरों को खड़ा करने के लिए उपयोग किया गया था.
- अप्रैल 2014, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने RWA के पक्ष में फैसला सुनाया और ट्विन टावरों को ध्वस्त करने का आदेश भी पारित किया गया.
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुपरटेक को अपने खर्च पर टावरों को ध्वस्त करने और घर खरीदारों के पैसे 14 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के लिए भी कहा था.
- मई 2014 में, नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गए .
- अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश की निरंतरता में टावरों को ध्वस्त करने का सख्त आदेश जारी किया और सख्ती से कहा कहा कि ट्विन टावरों का निर्माण नियमों के उल्लंघन में किया गया था।
लोग इस घटना से उत्साहित है और पीड़ित खरीदारों ने कहा है कि ट्विन टावर्स के विध्वंस ने उन बिल्डरों और अधिकारियों को एक कड़ा संदेश दिया है जो घर खरीदारों के साथ छल करते है और उन्हे धोखा देते हैं. बिल्डर घर बेचते समय अनेको दावे करते हैं लेकिन बाद में खरीदार मजबूर होकर निराश होते हैं .
सुपरटेक ट्विन टावर्स का विध्वंस आज इतिहास बन गया हैं - देश में अब तक की सबसे ऊंची इमारत जिसे खरीदारों के हितो को देखते हुए धराशायी कर दिया गया हो. लगभग 100 मीटर ऊंचे उत्तर प्रदेश के नोएडा में इस ढांचे को 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों की मदद से नष्ट किया गया हैं.
2016 में सरकार ने रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम पेश किया था , स्पष्टता और निष्पक्ष मापदंडो को देखने के उद्देश्य से इसे लाया गया था जो खरीदारों के हितों की रक्षा करने और गलत बिल्डरों पर जुर्माना लगाने के लिए था. सुपरटेक ट्विन टावर्स के मामले में जो घटनाओ और भृष्टाचार का खुलासा हुआ हैं वह इस बात का एक प्रमुख प्रमाण है कि बहुत कुछ परदे के पीछे एक फिल्म कि कहानी कि तरह चल रहा हैं. इसका सारा प्रभाव आम जनता पर पड़ता हैं फिर वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष भुगतना आम लोगो को ही पड़ता हैं . अब उम्मीद हैं कि इसपर अंकुश लगे.
अगस्त 2021 सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने इस मामले कि अनेको पार्टी खोली. सुप्रीम कोर्ट "नोएडा और सुपरटेक के अधिकारियों के बीच मिलीभगत के कृत्यों" को तो उजागर किया ही था , साथ ही एक कड़ा संदेश भी दिया - घर खरीदने वालों को हल्के में नहीं लिया जा सकता. यह बात खरीदारों को मानसिक और क़ानूनी ताकत भी देती हैं क्योकि अनेक बिल्डर खरीददारो को धोखे में रखते आए हैं.
इस मामले को एमराल्ड कोर्ट के नाम से जाना जाने लगा था क्योकि 2004 में न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (नोएडा) ने एक हाउसिंग सोसाइटी बनाने के लिए सुपरटेक लिमिटेड को यह प्लॉट आवंटित किया जिसके बाद यह कहानी शुरू हुई,
2005 में, न्यू ओखला औद्योगिक विकास क्षेत्र भवन विनियम और निर्देश 1986 के तहत , एक हाउसिंग सोसाइटी के लिए प्रत्येक 10 मंजिलों के साथ 14 टावरों के निर्माण के लिए निर्माण योजना को अथॉरिटी द्वारा निर्देशित किया गया था.
सुपरटेक को 10 मंजिलों के साथ 14 टावरों के निर्माण की अनुमति दी गई थी. हालांकि, अधिकतम ऊंचाई पर प्रतिबंध 37 मीटर लगाया गया था। मूल योजना के अनुसार, प्रत्येक 10 मंजिला 14 टावरों और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के साथ एक उद्यान क्षेत्र ने परियोजना शुरू हुई थी.
जून 2006 में कंपनी को निर्माण के लिए समान शर्तों के साथ अतिरिक्त भूमि प्रदान कि गई. योजना में संशोधन किया गया। अब नई योजना के अनुसार, दो और मीनारें बनानी थीं, जिसमें बगीचे को तोड़ दिया गया और 2009 में, अंतिम योजना दो टावरों एपेक्स और सेयेन के निर्माण के लिए बनाई गई, अब इनमे प्रत्येक में 40 मंजिलें थीं, लेकिन ऐसी योजना को अभी तक मंजूरी नहीं दी गई थी.
2011 में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. मकान मालिकों ने दावा किया कि दोनों टावरों के बीच 16 मीटर से कम की दूरी थी जो कानून का उल्लंघन था. 2012 में मूल योजना में बगीचे के लिए निर्धारित मूल स्थान का कथित तौर पर जुड़वां टावरों को खड़ा करने के लिए उपयोग किया गया था.
अप्रैल 2014, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने RWA के पक्ष में फैसला सुनाया और ट्विन टावरों को ध्वस्त करने का आदेश भी पारित किया गया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुपरटेक को अपने खर्च पर टावरों को ध्वस्त करने और घर खरीदारों के पैसे 14 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के लिए भी कहा था. मई 2014 में, नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गए .
अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश की निरंतरता में टावरों को ध्वस्त करने का सख्त आदेश जारी किया और सख्ती से कहा कहा कि ट्विन टावरों का निर्माण नियमों के उल्लंघन में किया गया था।
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