हल्दी के फायदे और हल्दी के उपयोग, हल्दी खाएं और स्वस्थ रहे. Healthfront


आजकल लोगो में हार्ट अटैक ब्रेन स्ट्रोक एक सामान्य बात हो गयी है. लेकिन क्या आप यह सोच पा रहे है कि जो पहले के समय में नहीं होता था आज वह तेजी से आपके आस पास लोगो कि अचानक जान ले रहा हैं. मेडिकल साइंस (Medical  science ) अनेको प्रयास तो कर रहा हैं लेकिन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया.


मेडिकल साइंस का विषय केवल यह हैं कि अगर किसी व्यक्ति को कोई रोग होता हैं तो वह केवल उसके लिए दवा उपलब्ध करवाए, मेडिकल साइंस इस बात पर जोर नहीं देता कि ऐसा होना ही नहीं चाहिए. किसी रोग को होने से रोकना ही सार्थक विज्ञान हैं. लेकिन मेडिकल साइंस केवल इस विषय पर काम करता हैं कि रोग होने के बाद क्या करे ? 

स्वस्थ समस्याओ के कारण क्या हैं (what are the causes of health problems)

हालाँकि आज के समय में स्वस्थ संबंधित समस्याओ के अनेको कारण है  जैसे खान पान में बदलाव , वातावरण में परिवर्तन , भोजन में प्रयोग होने वाली वस्तुवो में गुणवत्ता का न होना , अनेको प्रकार के पेस्टीसाइड का फसलों में प्रयोग - इन सबमे सबदे बड़ा और मुख्य कारण शुद्ध जल का आभाव. पिने का पानी सबसे महत्वपूर्ण हैं. इसलिए कहा जाता है जल ही जीवन का आधार है. अगर आपका खाने पिने के लिए प्रयोग होने वाला पानी शुद्ध नहीं हैं तो आप अनेको स्वस्थ समश्याओ को स्वयं ही बुलावा दे रहे है. भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य समस्याओं का बढ़ना एक बड़ी समाश्य बन रहा हैं. देश में पिने के शुद्ध जल का आभाव बढ़ता जा रहा है यह एक गंभीर समाश्य है. ऐसे में यह सोचना जरुरी हो जाता हैं कि सरकार आपको क्या स्वास्थ्य सुविधाएं दे रही है ? इस विषय में समाज एवं सरकार को सोचना चाहिए. हमारे जीवन शारीरिक स्वास्थ्य का महत्व सबसे पहले हैं.

हल्दी इंसान के लिए वरदान  ( Turmeric is a boon for humans )

ऐसे माहौल में आयुर्वेद और वर्षो पुरानी अनेको उपचार विधियों और ग्रामीण परिवेश में प्रयोग में लाए गए तजुर्बो के अध्यन से जो मिलता हैं उसे समझना और उसका लाभ उठाना उत्तम साधन हैं. अनेको विधियों और तरीको के अध्यन से यह ज्ञात होता हैं कि हल्दी इंसान के लिए वरदान हैं. आइये एक विधि के साथ समझते हैं कि हल्दी के क्या और कैसे उपयोग हो सकते हैं.  

हल्दी को कैसे उपयोग करे, हल्दी उपचार विधि क्या हैं ( How to use turmeric, what are turmeric remedies )

घूटना, नाभी, छाती (हृदय के ऊपर ) ,गला और माथे पर हल्दी और सरसों तेल (Oil ) का पेस्ट बनाकर लगाए. सर्वाइकल पेन और माइग्रेन में रीड कि हड्डी पर लेप लगाए और माथे पर (सर में भी लगा सकते हैं). यह पेस्ट केवल ताम्बे के बर्तन में बनाना हैं और सुबह उगते सूर्य कि किरणों के सामने बैठकर लगाना हैं. 

किसी धार्मिक कर्मकांड या देवी देवता से न जोड़े  ( Do not associate with any religious ritual or deity )

( इसे किसी धार्मिक कर्मकांड या देवता आदि से न जोड़े सूर्य आग का धधकता हुआ गृह हैं जो प्राकृतिक तौर पर अपनी किरणों से पृथ्वी को अनेको प्रकार के नुट्रिशन्स प्रदान करता हैं, वहा कोई देवता नहीं बैठा. न कोई देवता या धार्मिक कर्मकांड हल्दी और सरसो पैदा कर सकता हैं इनका देवता केवल किसान हैं उसे पूर्ण भाव से धन्यवाद कहे. अपनी जीवन रेखा पर किसी भी प्रकार के राग या द्वेष कि गांठ न लगने दे. आपका उद्देश्य एकमात्र स्वस्थ और वास्तविक रहना हैं. आप पूर्ण प्राकृतिक हैं वही बने रहे. प्रकृति आपका पूर्ण पोषण करती हैं. )

हल्दी के फायदे उठाने के लिए, शुद्ध हल्दी का चयन कैसे करे ( How to choose pure turmeric to reap the benefits of turmeric )

हल्दी केवल शुद्ध हल्दी हो, दुकान पर मिलने वाला हल्दी पावडर नहीं, हल्दी पाउडर शुद्ध नहीं होते हैं. कुछ सस्ते होते है और कुछ जहरीले तत्वों के साथ मिलावटी होते हैं जिसमें मिलावट होती है.अगर हल्दी में मेटानिल येलो मिला हुआ हो तो यह स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है इसे एसिड येलो भी कहते है.

उपचार विधि के साथ हल्दी का उपयोग कैसे करें ( How To Use Turmeric Along With Healing Method ) 10 Proven Health Benefits of Turmeric 

 1. 30  से 35  मिनट यह आपको करना हैं. यह विधि सुबह 8:30 से पहले पहले करे. 40 वर्ष से ऊपर के लोग तो जरूर प्रयोग करे. 

2. यह करने के बाद 1 लहसुन कि कली कैप्सूल कि तरह बिना चबाए, निगल ले और एक कच्चा मशरूम खाए. 

3. उसके बाद1 घंटे तक कुछ भी न खाए और सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से दूर रहे. कही खेत में, मिटटी में , पार्क में या घर कि छत पर एकांत में प्रकृति के साथ यह एक घंटा बिताए. बस यह एक घंटा आपको आपको प्रकृति को देना हैं. बस दे और कुछ भी अपेक्षा न करे. बस इस अनुभव को स्वीकार करे . 

4. अगर आप किसी भी पेट रोग या अन्य असाध्य रोग से पीड़ित हैं तो 1 से 2 ग्राम हल्दी का भोजन के साथ सेवन करे. अगर शुद्ध पानी में सेवन कर सके तो भी उत्तम हैं. 

5. अगर बच्चे को किसी प्रकार कि पेट रोग कि समश्या हैं तो उसे लस्सी में मिलाकर 1 ग्राम पिलाए. अल्सर लिवर , किडनी सभी में लाभ होगा. बच्चे को 3 दिन मात्र दे, उसके बाद 3 दिन में एक बार 9 दिन तक दे. अगर कोई गंभीर समश्या हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले.  

5. 9:30 के बाद मौसमी कच्चा सलाद और मौसमी फल खाए. गैर मौसमी फल या सब्जी बिलकुल न खाए.

6. तब आप 11 :30  से 12 :30 तक दोपहर का सदा भोजन खाए. भोजन में तरल व्यंजन हो. देसी खांड या गुड़ थोड़ी मात्रा में प्रयोग करे. खाने में हल्दी और सरसो का प्रयोग जरूर करे. 

7. 3:00 बजे के बाद  चाय कॉफ़ी जो भी आपको पसंद हो ले, अगर आप शराब आदि का सेवन करते हैं तो 5 से 6 बजे के बिच में उच्चतम गुणवत्ता वाली विस्की या स्कॉच उचित मात्रा में ले या अपने Dietitian ,Nutritionists या डॉक्टर से सलाह ले. 

अगर आप मैडिटेशन आदि करना चाहते हैं तो शराब का सेवन न करे, और लहसुन का सेवन भी न करे. इससे आपको सेंसेशंस महसूस नहीं होंगी और उसमे रूचि नहीं रहेगी. आप जो भी करे पूर्ण जागरूकता से करे. किसी मान्यता या कुंठा या विरोध  या किसी पक्ष में न करे. जो भी करे पूर्ण मुक्तावस्था में करे. प्रकृति के सहज साक्षी भाव को ग्रहण करे - पहले दिन से ही आप एक विशेष बदलाव महसूस करेंगे. मनुष्य प्रकृति का सर्वश्रेष्ठ निर्माण हैं. 


8. रात्रि भोजन 7-8  बजे से पहले  कमसे कम ले रात्रि भोजन में दाल आदि जरूर हो.

 

9. उसके बाद अगर रात में कुछ खाने पिने का मन हो तो निम्बू पानी, आंवला जूस या त्रिफला आदि ले सकते हैं और कुछ भी नहीं खाना. 


10. अगर हार्ट अटैक के मरीज हैं तो साबुत लाल मिर्च का प्रयोग भोजन में रोजाना करे / अगर स्वस्थ हैं तो केवल हरी मिर्ची का प्रयोग करे. कोशिश करे कि यह सब पेस्टीसाइड मुक्त उपलब्ध हो. खाने में हल्दी पाउडर कि जगह केवल शुद्ध हल्दी का प्रयोग करे.

उपचार विधि का प्रयोग कब कब कर सकते हैं ?

अगर  आप बीमार हैं तो सप्ताह में 3 बार करना हैं, सामान्य परेशानी हो तो सप्ताह मे एकबार करना हैं. अगर स्वस्थ हैं और रोगो से बचना चाहते हैं तो और सप्ताह में न कर सके तो तो महिने मे 2 बार जरूर प्रयोग करे. अगर २ बार भी न हो पाए तो एकबार तो पक्के नियम से करे. क्योकि इसका कोई न  कोई लाभ ही आपको हो सकता हैं नुकसान कोई भी नहीं. 

बीमार यानि किसी ऐसे रोग से पीड़ित व्यक्ति  दूध से बने किसी भी उत्पाद का प्रयोग न करे. रोगी कि स्थिति अनुसार केवल घी और लस्सी या दही का प्रयोग कर सकते हैं वो भी कम से कम मात्रा में. जिसदिन उपचार विधि करे उसदिन बिलकुल नहीं करना हैं. 

सामान्य या स्वस्थ व्यक्ति  तिन दिन पहले और तिन दिन बाद तक  दूध से बने किसी भी उत्पाद का प्रयोग न करे.  अनेको बीमारिया आपको नही होंगी. कोई होगी तो ठिक हो जायेगी . यह आपको cancer heart attack paralysis brain stroke cervical pain migraine and Depression जैसी गंभीर बीमारियों में लाभ देगा.

ध्यान देने योग्य विषय - मौसमी फल सब्जिया ही प्रयोग करे - तला भुना खाना खाने से परहेज करे, प्रकृति में पूर्ण विस्वास रखे व्यवहारिकता एवं वास्तविकता को सहज भाव से स्वीकार करे. किसी चमत्कार कि उम्मीद न रखे, अनहोनी होने पर किसी को दोषी न समझे. अपने व्यावसायिक एवं पारिवारिक कार्यो के साथ साथ  समाज सुधार के कार्यो में भाग ले भाग न ले सके तो चिंतन करे, चिंतन भी न कर सके तो ऐसे कार्यो में लगे लोगो का सहयोग करे.  

स्वस्थ रहे, सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य कि कामना करे. अगर यह लेख आपको पसंद आया होतो शेयर जरूर करे. धन्यवाद


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